आज सिताब दियारा ब्लॉग पर टॉमस ट्रांसटोमर की कवितायें
अनुवादक
– सरिता शर्मा
टॉमस ट्रांसटोमर
का जन्म 15
अप्रैल 1931 को स्टॉकहोम में हुआ था.
उनकी शिक्षा स्वीडन में हुई और उनका पहला संग्रह 1954 में प्रकाशित हुआ था. ट्रांसट्रोमर की जीवनी 1993 में स्वीडिश भाषा में प्रकाशित हो चुकी है. ट्रांसट्रोमर
की कविताओं का 50
भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उनकी
कविताओं में अनूठी उपमाओं और छवियों के माध्यम से रोजमर्रा की जिंदगी और प्रकृति
की तस्वीरें उकेरी गयी हैं.
कवि होने के साथ साथ ट्रांसट्रोमर एक मनोविज्ञानी भी हैं. उन्होंने
अपाहिज, मुजरिमों और नशे के आदी लोगों के साथ काम किया
है.उन्हें 2011 के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
मौत के बाद
एक बार आघात आया था
जो धूमकेतु की लंबी झिलमिलाती
पूंछ पीछे छोड़ गया.
उसकी वजह से हम अंदर बंद हो जाते हैं.
वह टी वी की तस्वीरें धुंधली
कर देता है.
टेलीफोन के तारों पर बर्फ जमा
देता है.
अभी भी सर्दी की धूप में धीरे-
धीरे स्की के लिए जा सकते हैं
उस झाड़ी से होकर जिसपर कुछ
पत्ते लटके हुए हैं .
पुराने टेलीफोन निर्देशिका से
फटे पन्नों की तरह
जिनके नाम ठंड ने निगल लिए
हैं.
दिल की धड़कन सुनना अब भी सुखद
है
पर छाया अक्सर शरीर से ज्यादा
असली लगती है.
समुराई बौना लगता है
ब्लैक ड्रैगन की धारियों वाले
अपने कवच के मुकाबले.
जोड़ा
उन्होंने बत्ती बुझाई जिसकी
धवल छाया
अंधेरे के गिलास में गोली की
तरह
खत्म होने से पहले क्षण भर
टिमटिमाती है, फिर गायब हो जाती है.
होटल की दीवारों सिर उठाती हैं
अंधेरे आकाश में
प्यार करने की हलचल शांत हो
गयी है, और वे सो गये हैं
लेकिन उनके सबसे गोपनीय खयाल
मिलते हैं
मानो दो रंग घुलकर एक दूसरे में
बह गये हों
स्कूली छात्र के चित्र के गीले
कागज पर.
अंधेरा और ख़ामोशी है. मगर शहर खिंचकर
करीब आ गया है
आज की रात. शांत खिड़कियों वाले
घर एक दूसरे के निकट आ गये हैं.
वे मिलकर खड़े हुए प्रतीक्षारत
हैं,
ऐसी भीड़ जिसका चेहरा भावविहीन है.
राष्ट्रीय असुरक्षा
अवर सचिव आगे झुकती हैं और
एक्स का निशान बनाती है
और उसके कान के बूँदें खतरे की
तलवार की तरह लटके हुए हैं.
जमीन पर अदृश्य पड़ी विचित्र
तितली की तरह
दानव विलीन हो जाता है खुले
हुए अख़बार में.
किसी के भी द्वारा नहीं पहना
हुआ हेलमेट ताकतवर हो गया है.
कछुए की माँ पानी के नीचे
उड़ान भरती हुई भाग गयी है.
सरहदें
कुल मिलाकर आदमी
का रंग गड्ढे से निकली मिटटी सरीखा है.
यह बदलता हुआ
गतिहीन स्थान है, न देश और न ही
शहर है.
भवन निर्माण स्थल पर क्रेनें क्षितिज
में लम्बी छलांग लगाना चाहती हैं,
लेकिन घड़ियों साथ
नहीं देती हैं.
ठंडी जीभ वाले
कंक्रीट के पाइप रोशनी में किनारों पर बिछे हुए हैं.
ऑटो की मरम्मत
की दुकानें खुल गयी हैं पुराने कोठारों में.
पैनी छायायें
फेंकते हैं पत्थर चाँद की सतह की वस्तुओं जैसी.
और ये जगहें
बड़ी होती जा रही हैं.
अजनबियों को
दफनाने के लिए
विश्वासघाती
जुडाज की चांदी से खरीदे कुम्हार के खेत की तरह.
आधा बना स्वर्ग
निराशा और चिन्ता अपना काम छोड़ देती हैं .
गिद्ध अपनी उड़ान रोक देता है.
उत्कट प्रकाश बह निकलता है,
प्रेत भी घूँट भर लेते हैं.
हमारे चित्रों और हिमयुगीन
स्टूडियो के
हमारे लाल जानवरों को
दिन का उजाला देखने को मिल
जाता है.
हर कोई अपने आसपास देखने लगता है.
हम सैकड़ों मिलकर धूप में चलते हैं.
हर आदमी अधखुला दरवाजा है
हर किसी को उसके लिए बने एक कमरे की ओर ले जाता हुआ.
हम सैकड़ों मिलकर धूप में चलते हैं.
हर आदमी अधखुला दरवाजा है
हर किसी को उसके लिए बने एक कमरे की ओर ले जाता हुआ.
हमारे पैरों तले अंतहीन मैदान है.
पेड़ों में पानी चमक रहा है,
झील पृथ्वी में एक खिड़की है.
झील पृथ्वी में एक खिड़की है.
दबाव में
नीले आसमान के इंजन की गड़गड़ाहट बहुत तेज है.
हम यहां कांपते हुए ग्रह पर टिके
हैं
जिसे सागर की गहराई अचानक निगल
सकती है -
सीपियां और टेलीफोन फुफकारते
हैं.
आप सुंदरता को जल्दबाजी में बस
बगल से निहार सकते हैं.
खेत में उगा सघन अन्न, पीली पंक्ति में रंगों की छटा.
मेरे दिमाग में मौजूद बेचैन साये इस जगह की ओर खिंचे चले जाते हैं
जो अन्न में समाकर सोना बन जाना चाहते हैं.
अंधेरा हो जाता है. मैं आधी रात में सोने चला जाता हूँ.
बड़ी नाव से छोटी नाव बाहर निकलती है.
पानी पर आप अकेले हैं.
समाज का स्याह आवरण लगातार दूर होता चला जाता है.
खेत में उगा सघन अन्न, पीली पंक्ति में रंगों की छटा.
मेरे दिमाग में मौजूद बेचैन साये इस जगह की ओर खिंचे चले जाते हैं
जो अन्न में समाकर सोना बन जाना चाहते हैं.
अंधेरा हो जाता है. मैं आधी रात में सोने चला जाता हूँ.
बड़ी नाव से छोटी नाव बाहर निकलती है.
पानी पर आप अकेले हैं.
समाज का स्याह आवरण लगातार दूर होता चला जाता है.
अनुवाद और प्रस्तुति
सरिता शर्मा
दिल्ली में रहनवारी
फिल्मों और अनुवाद
में गहरी रूचि
एक आत्मकथात्मक
उपन्यास ‘जीने के लिए’ प्रकाशित
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