बुधवार, 11 दिसंबर 2013

मार्टिन कार्टर की कवितायें

                            

                                   मार्टिन कार्टर 


सिताब दियारा ब्लॉग के पाठकों के लिए  मेरे आग्रह पर  सरिता शर्मा ने  विश्व कविता से कुछ महतवपूर्ण कविताओं का अनुवाद करना स्वीकार किया है | एक नियमित अंतराल पर आप उनके द्वारा अनुदित कवितायें यहाँ पढ़ते रहेंगे |     

       
         प्रस्तुत है सिताब दियारा ब्लॉग पर  मार्टिन कार्टर की कवितायें    
                                                           

गुयाना के कवि मार्टिन कार्टर जो अपने देश के स्वाधीनता संघर्ष से जुड़े रहे . उनका जन्म 1927 में हुआ था और उन्होंने महारानी कॉलेज में माध्यमिक स्कूल शिक्षा प्राप्त की थी. वह युवावस्था में ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए उथल पुथल भरे राजनीतिक आंदोलन में शामिल हो गए और आंदोलन की कट्टरपंथी ताकतों के लिए एक प्रमुख प्रवक्ता बन गये थे. इस शोहरत के कारण उन्हें 1953 में ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा गिरफ्तार करके कैद कर लिया गया. नजरबंदी के समय कार्टर पहले से ही , एक कवि के रूप में अपने  कैरियर की शुरूआत कर चुके थे. लेकिन उनके सबसे महत्वपूर्ण कविता  संग्रह , ‘पोयम्स ऑफ़ रेजिस्टेंस’ की  रचना उनके कारावास के दौरान की गयी थी जिसे 1954 में लंदन में प्रकाशित किया गया था.
    
जेल से अपनी रिहाई के बाद कार्टर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे . वह 1965 में लंदन में गुयाना संवैधानिक सम्मेलन में कॉलोनी के प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य थे जोकि  राष्ट्रीयता की औपचारिक उपलब्धि से पहले अंतिम बाधा थी. इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के लिए गुयाना के प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य के रूप में दो साल ( 1966-67 ) तक कार्य किया. वह अपने देश में सूचना और संस्कृति मंत्री के रूप में गुयाना सरकार में रह चुके थे मगर उन्होंने अंततः 1971 में सरकार को छोड़ दिया.. इस पूरी अवधि के दौरान वह कवि और कार्यकर्ता  की दोहरी भूमिकाओं को निभाते रहे. यह एक उपयुक्त विकल्प था क्योंकि उन्होंने अपने लेखन में  भागीदारी और प्रतिबद्धता की वकालत की गयी है. नतीजतन राजनीतिक गतिविधियों और सरकारी सेवा के वर्षों के दौरान भी उनके मुखर संग्रह ‘पोयम्स ऑफ़ शेप एंड मोशन’ ( 1955)  और ‘पोयम्स ऑफ़ एफिनिटी’1978-1980 ( 1980) आये .
    
वह 1970 से 1978 तक बार फिर से बुकर के लिए लौट आए और 1978 में अंतिम बार इस्तीफा दे कर वह गुयाना विश्वविद्यालय में रचनात्मक लेखन में व्याख्याता और आर्टिस्ट इन रेजिडेंस बन गये. इस अवधि में उन्होंने ‘पोयम्स ऑफ़ सक्सेशन’ लिखी जिन्हें न्यू बीकन बुक्स द्वारा 1977 में प्रकाशित किया गया था. जब मार्टिन कार्टर ने  पीएनसी और उनके द्वारा चुनाव कराने के लिए उनके इनकार करने के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लिया तो 1978 में उनकी बुरी तरह पिटाई की गयी. इस समय राजनीतिक रूप से कार्टर की सहानुभूति यूसी क्वायाना और वाल्टर रॉडने के वर्किंग पीपल्स एलाएंस के साथ थी हालांकि वह कभी पार्टी के सदस्य नहीं बने.
      
1992 में कार्टर गुयाना के लेखकों विल्सन हैरिस, फ्रेड डी अगियार और ग्रेस निकोल्स के साथ ब्रिटेन के दौरे में भाग लिया.  1993 में कार्टर को दिल का दौरा पड़ा और चलने और बोलने में असमर्थ हो गये थे. उनका निधन 13 दिसंबर, 1997 को हो गया. उन्हें जॉर्ज टाउन में बॉटनिकल गार्डन में प्लेस ऑफ़ हीरोज में दफना दिया गया था जिसे पहले केवल  राज्य के प्रमुखों  के लिए आरक्षित किया गया था.


                                                             
एक ...

कवि


वह चिल्लाई देखो, देखो, कविताओं वाला आदमी
अपनी मासूमियत के कमजोर पुल पर भाग रही थी वह.
किस घर में
वह जाएगी?  किस अपराधबोध में ले जायेगा
वह पुल उसको ? मैं
जिसे उसने आवाज दी
और वह बमुश्किल 12 साल की होगी
बीच में मिले, वह जा रही थी
अपने रास्ते; मैं लौट रहा था  
बीच में जहाँ हम मिले
वहां रुका नहीं जा सकता है.


दो ...

यह अंधियारा समय है प्रिय

यह अंधियारा समय है प्रिय
हर जगह धरती पर रेंगते हैं भूरे झींगुर
चमकता  सूरज छुप गया है आकाश में कहीं
सूर्ख फूल दुख के बोझ से झुक गये हैं
यह अंधियारा समय है प्रिय
यह उत्पीड़न, डार्क मेटल के संगीत और आँसुओं का मौसम है.
बंदूकों का त्योहार है,  मुसीबतों का उत्सव है
लोगों के चेहरे हैरान और परेशान हैं चहुँ ओर
कौन टहलता आता है रात के घुप्प अंधेरे में?
किसके स्टील के बूट रौंद देते हैं नर्म घास को
यह मौत का आदमी है  प्रिय,  अपरिचित घुसपैठिया
देख रहा  है तुम्हें सोते हुए और निशाना साध रहा है तुम्हारे सपने पर.


तीन
मेरी प्रियतमा का दमकता सौंदर्य

अगर मैं चाहता
रात के चित्र बना सकता था मैं
विपुल जलराशि के ऊपर सितारों और
सितारों के नीचे फैली हुई जलराशि का नक़्शा
मेरी प्रियतमा की सुंदरता            
अंधेरे में सुबह की किरण लाने वाले पुष्प सा.
हाँ, अगर मैं चाहता
मैं अभी बंद कर लेता अपनी आँखें
और ले आता इन चीजों को दिमाग में जिन्दगी की तरह.
मगर समय बदल गया है.
और जिस ओर भी मुड़ कर देखता हूँ मैं
प्रचंड विद्रोह चला जाता है मेरे साथ
एक चुंबन की तरह -
मलाया
और वियतनाम का विद्रोह -
भारत का विद्रोह
और अफ्रीका का  -
संरक्षक की तरह.
मेरी  सरपरस्त बन गयी है
आजादी की लड़ाई -
और गुलाम बनाने वालों से मुक्ति के लिए
नृत्य करती हुई पूरी दुनिया की तरह
मेरी प्रियतमा का सौन्दर्य दमकता है उसकी हँसती हुई आँखों में.


चार ...
तुम्हारे हाथों को देखते हुए


नहीं!
मैं खामोश नहीं होऊंगा!
बहुत कुछ
हासिल करना है मुझे
अगर तुम देखते हो मुझे 
किताबें को निहारते हुए
या तुम्हारे घर आते हुए
या धूप में घूमते हुए
जान लो आग की तलाश है मुझे !

मैंने सीखा है
किताबों से प्यारे बंधु
स्वप्नदर्शी जिन्दा लोगों के बारे में
प्रकाशहीन कमरे में भूखे प्यासे रहते हुए
जो मर नहीं पाये क्योंकि मौत उनसे ज्यादा दीन थी
जो सपना देखने के लिए नहीं सोते थे,बल्कि दुनिया को
बदलने सपने देखा करते थे.

और हां
अगर तुम देखते हो मुझे
तुम्हारे हाथों पर नजर डालते हुए
तुम्हारी बात सुनते हुए
तुम्हारे जुलूस में चलते हुए
तुम्हे जान लेना चाहिए
मैं सपना देखने के लिए नहीं सोता, बल्कि दुनिया को
बदलने के सपने देखा करता हूँ.



 अनुवाद ...
 सरिता शर्मा
  • परिचय 
  •  एक काव्य संकलन 'सूनेपन से संघर्ष' तथा एक आत्मकथात्मक उपन्यास 'जीने के लिए' प्रकाशित. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समीक्षाएं, कविताएँ तथा कहानियाँ प्रकाशित. रस्किन बांड की दो किताबों सहित कई अनुवाद. आजकल राज्य सभा सचिवालय में सहायक निदेशक हैं.

    • सम्पर्क
    • 1975, सेक्टर 4, अर्बन एस्टेट,
    • गुड़गांव 122,001.
    • (हरियाणा)
    • ईमेल: sarita12aug@hotmail.com
    • मोबाइल: 9871948430







2 टिप्‍पणियां:

  1. मार्टिन कार्टर की कवितायेँ किसी भी देश के व्यक्ति से जुडी हुई प्रतीत होती हैं क्योंकि इनमें घोर उदासी, विद्रोह और दुनिया को बदलने का स्वप्न है।

    जवाब देंहटाएं
  2. सरिता जी ने मार्टिन कार्टर की कविताओं का बढ़िया अनुवाद किया है. बधाई सरिता जी को, आभार सिताब दियारा का.

    जवाब देंहटाएं