सिताब दियारा ब्लॉग संभावनाओं का
ब्लॉग है | यह ब्लॉग खुशकिस्मत हैं कि कई नयी कोंपलें यहाँ से फूटी हैं | आज
प्रस्तुत है युवा संभावनाशील कवि इन्द्रमणि उपाध्याय की कवितायें .....
एक ......
चीज़ों के
होने से
और......कितनी बदल गई दुनिया,
कितने बदले हम
बड़ी-बड़ी चीजें छोटी होती गईं
जैसे गमले में लगा हुआ हो बरगद
जैसे बालकनी में रोप दी गई हो नीम
जैसे उग आया हो पीपल दीवाल में
इसी के साथ छोटी-छोटी चीजें
बड़ी हो गई बहुत बड़ी...........
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शामिल हो गयी
कभी-कभार सुनाई देने वाली चीखें
हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार,
धर्म के नाम पर
अधर्म का उन्माद
अब मुट्ठी में आ गई दुनिया
चाँद-तारे अंगुलियों के इशारे पर हैं।
पर बड़ी चीजों के छोटे होने में,
एकदम से गायब हो गई है,
रिश्तों की महक
पड़ोसी रसोई से उठती खुशबू,
मेरी नन्ही सी बेटी की मुस्कान
जो दुनिया की सबसे बड़ी चीज होनेवाली थी….
दो .....
‘ईश्वर आवें
दलिद्दर जाएँ ’
आज कई सालों बाद भी
देवोत्थान एकादशी की
सुबह-सुबह
गन्ने की ‘अघोड़ी’
लेकर, सूप बजा-बजाकर
भाभी भगा रही है-
‘दलिद्दर’।
पहले माँ भगाती थी और
उससे पहले ‘दादी’
कहती थी कि
‘ईश्वर
आवें दलिद्दर जाएँ ईश्वर आवें दलिद्दर
जाएँ।
वह मानती थी कि
सूप की आवाज से डरकर
दलिद्दर भाग जाएगा
धन-लक्ष्मी के साथ
ईश्वर आएगा।
उसी के आस-पास
कटकर आता खेतों से
धान
तो
लगता था कि
दलिद्दर भाग गया है।
आज दादी नहीं है और
माँ भी नहीं है,
तब भाभी यह परंपरा निबाह रही रही है
सूप बजा-बजाकर दलिद्दर भगा रही है।
पर
नहीं आ पाता है खेतों
से धान
वह अटक जाता है किसी
डंकल-गैट में
महँगे खाद-बीज पानी
में
बैंक के कर्ज में
महाजन की उधारी में।
दूर कहीं राजधानी में
टीवी चैनलों के कैमरे की फ्लैश में
हमारे देश के कृषि मंत्री
किसानों की हालत पर
चिंता व्यक्त करते हुए,
पेश करते हैं उनके
लिए सस्ते कर्ज की योजना,
और अगले दिन
भईया खड़े मिलते हैं
बैंक में कर्ज की
अर्जी लिए
(साथ में माथे पर लिए हुए
बेचारगी व चिंता की बढ़ी हुई लकीर)।
इधर एकादशी की सुबह-सुबह
पूरे...(?) जोश से सूप बजाती
हुई
भाभी..... बुदबुदा
रही हैं.....
‘ईश्वर
आवें दलिद्दर जाएँ, ईश्वर आवें दलिद्दर जाएँ’।
तीन .....
गुम
हुई कॉपी.....
मैंने पाई एक गुम हुई कॉपी
जाने किस बच्चे की थी
कॉपी देखता हूँ तो लगे हुए हैं
सुलझे अनसुलझे सवाल,
भाषा, विज्ञान व जाने क्या-क्या
कॉपी के पिछले हिस्से में
टेढ़ी-मेढ़ी चित्रकारी
अधूरे फिल्मी गानों का संग्रह
कुछ अनगढ़ अभिव्यक्ति
बीच में कहीं-कहीं फटे हुए पन्ने
जिनके द्वारा बच्चा शायद
जहाज बनाकर उड़ाता हो
पाइलट बनने के
सपने देखता हो।
कॉपी खो जाने से
परेशान बच्चा डर रहा होगा
मम्मी से पैसे माँगने से
कि वे डाँटेंगी या
पापा मारेंगे।
यूँ टूट जाएँगे
कितने सपने
इंजीनियर चित्रकार संगीतज्ञ डॉक्टर
या पाइलट..... बनने के
मात्र......
कॉपी गुम हो जाने से।
चार
.....
रचनाकार
जेठ
की दोपहरी में
गाँव
के सिवान में
हवा
के झोंकों के साथ-साथ
पोखरे
के जल में झाँकता सूरज
जल
के साथ-साथ
मंद-मंद
. . . . हिल रहा है
लग
रहा है
मानो
रचनाकार
नई सृष्टि कर रहा है।
पांच ....
प्रकृति
धरती चाहती थी जीवन
आसमान चाहता था रंग
हवा चाहती थी सुगंध
आसमान चाहता था रंग
हवा चाहती थी सुगंध
मन चाहता था सौंदर्य
मैंने सबके अरमान पूरे कर दिए,
एक मुट्ठी बीज मिट्टी में बो दिए|
मैंने सबके अरमान पूरे कर दिए,
एक मुट्ठी बीज मिट्टी में बो दिए|
परिचय और संपर्क
इन्द्रमणि उपाध्याय
जन्म- ११ नवम्बर १९८५
जन्मस्थान – बस्ती, उ.प्र.
सम्प्रति केन्द्रीय विद्यालय गुवाहाटी
में शिक्षण कार्य
मो.न. - 09508665369
Pad kar aanand ka anubhav..........
जवाब देंहटाएंbhot hi saral aur spasht bhasha ka prayog , dil ko chu jane wale kavitayen , aise hi likhte rhiye, all d best sir g
जवाब देंहटाएंमत हार मुसाफिर,आज भले सब ओर अँधेरा होगा,
जवाब देंहटाएंकल नया सूरज उगेगा,नई रोशनी का सवेरा होगा,
उम्मीदों की किरणे फूटेगी ,हर ओर उजाले का बसेरा होगा,
कल राहें नई खुल जाएगी,और वो कल तेरा होगा.............
उभरते हुए लेखक की उभरती हुई रचनाएँ ...........हार्दिक शुभारंभ.....शुभकामनाओं सहित....
bahut khoob
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सभी को
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएं'ईश्वर आवे दालिद्दर जावे'
सुन्दर कविताएँ !!
जवाब देंहटाएंअच्छी कवितायें.......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ढेर सारी........
अच्छी कवितायें.......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ढेर सारी........
अच्छी कवितायें.......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ढेर सारी........
aati sunder
जवाब देंहटाएंAchchha laga aapko padhkar .Saathi aapko shubhkaamnain! Sitabdiyara ka dhanyavaad!
जवाब देंहटाएं- Kamal Jeet Choudhary
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा, सर!
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएं और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)
wonderful jiju...!! :) :)
जवाब देंहटाएंसभी कवितायें देशजता से लहालोट हैं ..अभिवयक्ति बता रही कि इन्हें तबियत से जिया गया है, महसूसा गया है |.... अंतिम दो प्रकृति व रचनाकार अपने शीर्षक की बहुत ही सूक्ष्म परिभाषा दे रहीं ........ प्रेरित करने वाले कवि को, (जो कि ज्ञान व अनुभव में मुझसे काफी बड़े हैं) .... दिली बधाइयाँ|
जवाब देंहटाएंवाह ! आपकी कवितायेँ यथार्थ से जुड़ी हैं और इसमें अपनी मिट्टी की खुशबू रची-बसी है | आपको हार्दिक शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंअत्यंत सजीव, मिट्टी की महक लिए हुई रचनाएँ हैं! शुभेच्छा!
जवाब देंहटाएंअच्छी कवितायेँ हैं ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंअच्छी कविताएँ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंसजीव चित्रण है
शानदार कविताएँ
जवाब देंहटाएंबेहतरीन💐
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