tag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post5396786049733066207..comments2024-03-28T12:43:12.893+05:30Comments on सिताब दियारा : जीवन अंततः किस एकांत की ओर जाता था - अरविन्द रामजी तिवारी http://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-38925270287671847422013-10-31T00:50:26.332+05:302013-10-31T00:50:26.332+05:30जहाँ आज कवि बनाने की होड़ लगी है अरविन्द जी पाठक ही...जहाँ आज कवि बनाने की होड़ लगी है अरविन्द जी पाठक ही बने रहना चाहते है इसी से इनकी विशिष्टता का पता चलता है |अच्छा लगा आपकी कविताएँ पढ़ कर |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10223085736220343595noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-47060329293497738972013-08-11T16:30:42.576+05:302013-08-11T16:30:42.576+05:30एकांत, बारिश और जो खूबसुरत नहीं थी कविताएँ पाठक को...एकांत, बारिश और जो खूबसुरत नहीं थी कविताएँ पाठक को एक अलग संसार में ले जाती हैं...इनमें कवी के अंतर्मन के कई परतें खुलती हैं. इनमें संवेदनाओं की इतनी तीक्ष्ण सांद्रता है कि इन्हें पढने के पश्चात् हम अपने आप को एक अलग धरातल पर पाते हैं. परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-51549957939280909762013-07-31T15:46:21.389+05:302013-07-31T15:46:21.389+05:30kya shandaar kavitayen hai ki padhti rhi jaaye baa...kya shandaar kavitayen hai ki padhti rhi jaaye baar baar aur khatam hi naa ho....dil se badhaiii arvindshailjahttps://www.blogger.com/profile/13967930321980449500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-56651847910050117312013-07-29T16:15:36.909+05:302013-07-29T16:15:36.909+05:30बहुत अच्छी कविताएँ हैं गुरु, लेकिन हमउम्र अरविन्द ...बहुत अच्छी कविताएँ हैं गुरु, लेकिन हमउम्र अरविन्द के भीतर आसपास को लेकर इतना संघर्ष और हताशा डरा भी देती हैं.सिद्धान्तhttps://www.blogger.com/profile/15301083796302573767noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-25510998199871932942013-07-29T15:50:36.802+05:302013-07-29T15:50:36.802+05:30Mai arwind ko gahri ummid se dekh raha hoon. Kavit...Mai arwind ko gahri ummid se dekh raha hoon. Kavita padhwane ka aabhar ram ji. Keshav.tiwariAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-28527204409096329662013-07-29T13:26:42.912+05:302013-07-29T13:26:42.912+05:30acchi kavitayen.
acchi kavitayen.<br />कर्मानंद आर्यhttps://www.blogger.com/profile/14316452912089243484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-78552343147239572392013-07-29T13:21:25.541+05:302013-07-29T13:21:25.541+05:30आकर्षक वस्तुओं की तरफ तो हमारा आकर्षण सहज ही है......आकर्षक वस्तुओं की तरफ तो हमारा आकर्षण सहज ही है....परन्तु यही हाल मानवीय समबन्धों को लेकर भी है....जो खूबसूरत नहीं हम उसका तिरस्कार कर देते हैं....यह एक सच है जो अरविन्द की कविता में हैं....जो खुबसूरत नहीं थी वे लडकियाँ कहाँ गयीं...AKG - अनुज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02906341687292786748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-7171942010006121122013-07-29T09:27:19.556+05:302013-07-29T09:27:19.556+05:30दो एकांत मिलकर एक सघन एकांत रचते थे.
मैं तुम्हारे ...दो एकांत मिलकर एक सघन एकांत रचते थे.<br />मैं तुम्हारे अचानक प्रेम में ऐसे पड़ना चाहूँगा..<br />यह स्वर अनूठी कविता का स्वर है. अरविन्द की कवितायेँ सहज ही छा जाने वाली कवितायें हैं. दिलो-दिमाग पर . ऐसे विशिष्ट कवि को जितनी बार पढ़ा जाए, अलहदा स्वाद मिलेगा. मनमोहक कविताओं को यहाँ परोसने के लिए सिताब दियारा को बधाइयाँ.डॉ. रमाकान्त रायhttps://www.blogger.com/profile/09116808635021540672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-60101842689064328992013-07-29T09:16:49.210+05:302013-07-29T09:16:49.210+05:30बेहद प्रभावशाली कवितायेँ... बार बार लौट कर पढ़े जा...बेहद प्रभावशाली कवितायेँ... बार बार लौट कर पढ़े जाने को आमंत्रित करती हुईं!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-72891962817064098802013-07-29T09:01:26.740+05:302013-07-29T09:01:26.740+05:30सभी कविताएँ एक से बढ़ कर एक हैं . जो खूबसूरत नही थ...सभी कविताएँ एक से बढ़ कर एक हैं . जो खूबसूरत नही थीं एक बेमिशाल रचना हैं ....कवि को हार्दिक बधाई एंव सिताब दियारा का आभार इन्हें प्रस्तुत करने के लिए .<br />सादर Nityanand Gayenhttps://www.blogger.com/profile/14656349243336915008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-30190831437763885262013-07-29T08:58:35.538+05:302013-07-29T08:58:35.538+05:30शाबाश, अरविंद। शाबाश, अरविंद। Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-83593966873779573392013-07-29T08:36:51.850+05:302013-07-29T08:36:51.850+05:30वाह ! बहुत अच्छी, प्रभावशाली कवितायेँ वाह ! बहुत अच्छी, प्रभावशाली कवितायेँ Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04125579342554874427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-81788177464509810202012-12-26T13:28:08.816+05:302012-12-26T13:28:08.816+05:30बहुत हि बढ़िया kk meenaबहुत हि बढ़िया kk meenaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-83187117864873240242012-09-19T15:33:17.178+05:302012-09-19T15:33:17.178+05:30अरविन्द को जानने वालों में मैं भी एक शामिल हंू। नज...अरविन्द को जानने वालों में मैं भी एक शामिल हंू। नजदीकियां सीमित पर आत्मीयता पर्याप्त हैं। हर क्षण कविताओं में जीते हैं वे। एकान्त से उनकी जबर्दस्त यारी है। बहुत कुछ यायावरी किस्म की। वे बोलते-बोलते अचानक ढूंढने लगते हैं एकान्त। आपसी बतकही-कहकहे के बीच टटोलने/खोजने लगते हैं एकान्त। ऐसे समय में जब सबकुछ असुरक्षित है; वे बचाए रखना चाहते हैं अपना एकान्त। ताकि वे स्थिर चित्त से पूरे संसार के भरापन और हरापन को महसूस सके। उन विडम्बनाओं, विद्रूपताओं और विसंगतियों की पहचान कर सके जिनकी वजह से इंसान का इंसान बने रहना दूभर है। उनकी यह एकान्त आत्मजीवी न होकर बेहद सजग और चेतस है। उनकी कविताएं शब्दबद्ध या पंक्तिबद्ध न होकर जीवन से सम्बद्ध है। उनकी तलाश में वे चेहरे हैं जो गायब और गुमशुदा हैं; जिनके होने को लेकर नकार/इंकार अधिक हैं स्वीकार के भाव नाममात्र। अरविन्द व्याकुल आत्मा की तरह सिर्फ प्रश्न खड़े नहीं करते हैं बल्कि शिद्दत के साथ सभ्य-समाज के ऊपर ‘एफआईआर’ दर्ज करते दिखाई पड़ते हैं-‘‘जिनकी लिये नही लिखी गयी प्रेम कविताएं/नही रचा गया किसी नायिका का पाठ/वे कहां गयीं?’’। अरविन्द की यह टोह/टटोल इसलिए हमें ठीक लगती है; क्योंकि वे उन लोगों पर अपनी आंख रखते हैं जिनपर हमारी दृष्टि गई ही नहीं है आजतक या कि नज़र फेर लिया है बड़ी होशियारी से। जीवन के अंग-अंग में रंग भरने को आतुर अरविन्द उन संभावनाओं तक को जीवित कर डालते हैं जो सदियों/शताब्दियों/सहस्त्राब्दियों से ओझल हैं-‘‘छाता लगाकर/मै बादलों की तरह घूमना चाहता हूँ/वहां तक जाना चाहता हूँ/जहाँ कोई बीज बीहड मरूस्थल में सदियों से सोया पडा है/जहाँ किसी स्त्री के आँगन ने नही देखा इन्दधनुष।’’। यही नहीं अपने प्रयत्न में वे खुद को होम कर देने को भी अपनी ‘मृत्यु’ की सार्थकता मानते हैं। इसीलिए वे अपनी कविता में बड़ी शाइस्तगी से कहते हैं-‘‘जीने से पहले कई बार मर जाता हंू/मरने से पहले कई बार जीता हूं मित्रो!’’ <br /><br />अपनी टिप्पणी में आशुतोष जी जो कह रहें हैं वे गैरवाजिब नहीं हैं, लेकिन जिस बारे में कह रहे हैं वे तो महज उदाहरण में प्रयुक्त प्रस्थानक मात्र हैं। बाद की सारी स्थितियां उन्हीं से उपतजी हैं-‘गोधरा’ से लेकर ‘ग्रीनहंट’ तक। पच्चीस की उम्र में अरविन्द जैसा उम्दा लिख रहे हैं; उससे यह उम्मीद तो जगती ही है कि वे कविताई की प्रचलित परिपाटियों से कुछ नया रचेंगे-बुनेंगे। अपने अनुभव को और गहन और संवेदना को गाढ़ा करेंगे। इसी आशा में मुझ जैसे सामान्य लोग टकटकी लगा निहारेंगे सिताब-दियारा का कोना-अतरा। फिलहाल, साधुवाद! अरविन्द और सिताब-दियारा दोनों को साथ-साथ। issbaarhttps://www.blogger.com/profile/14842589178871143639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-12927190995567392202012-09-09T01:22:36.671+05:302012-09-09T01:22:36.671+05:30जटिलता के शिल्प के प्रति पूरे सम्मान के साथ कहना च...जटिलता के शिल्प के प्रति पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूँगा कि मेरे प्रति रचना की पहली शर्त सहजता है और यहाँ अरविन्द बहुत उम्मीद जगाते हैं. अच्छी कविताओं के लिए धन्यवाद....विमल चन्द्र पाण्डेय addictionofcinemahttps://www.blogger.com/profile/09104872627690609310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-32516042885860059032012-09-08T20:21:52.378+05:302012-09-08T20:21:52.378+05:30mar dala. aise hee aage bhee likhe.mar dala. aise hee aage bhee likhe.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04769629823268026422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-82025998006335622092012-09-08T20:19:43.129+05:302012-09-08T20:19:43.129+05:30mar dala.aise hee aage bhee likhate rahe.mar dala.aise hee aage bhee likhate rahe.pramod barnwalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-974590446111167072012-09-08T11:13:40.323+05:302012-09-08T11:13:40.323+05:30आगे भी इनकी कविताएँ पढ़ने की इच्छा रहेगी।आगे भी इनकी कविताएँ पढ़ने की इच्छा रहेगी।तिथि दानीhttps://www.blogger.com/profile/07151028957025468855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-16746112454319572632012-09-08T11:11:38.342+05:302012-09-08T11:11:38.342+05:30बहुत अच्छी कविताएँ अपने साथ एक अलग दुनिया में ले ज...बहुत अच्छी कविताएँ अपने साथ एक अलग दुनिया में ले जाती हुई।<br />tithi daninoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-81757456015403146272012-09-07T22:42:21.965+05:302012-09-07T22:42:21.965+05:30अरविन्द बढ़िया लिख रहे हैं ..सिग्नेचर मार्क है इनक...अरविन्द बढ़िया लिख रहे हैं ..सिग्नेचर मार्क है इनके पास.. ध्यान खींचते हैं .. अभी पिछले दिनों इनकी कवितायें पढ़ी जो वाकई पसंद आई..उनकी एक कविता में सम्पूर्णता में चीजों को नहीं देख सकने सम्बन्धी आई एक आपत्ति को मैंने ज्यादा तवज्जो लायक नहीं समझा है.. रचनात्मक विस्फोट होना शेष है अभी इनके अन्दर और इनसे उम्मीद बनी रहेगी.. <br />shayak alokhttps://www.blogger.com/profile/02820288373213842441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-612950454844522782012-09-07T15:50:16.456+05:302012-09-07T15:50:16.456+05:30aagat mritu, baarish aur jo khubsurat nahi thi muj...aagat mritu, baarish aur jo khubsurat nahi thi mujhe bahut achhi lagi........a kavitaye sahitya-samaj hi nahi balki aam aadami ko bhi pasand aayengi. arvind ko dher sari badhayiyan....<br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10437733067687177607noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-51142369641768423402012-09-07T09:02:19.347+05:302012-09-07T09:02:19.347+05:30अरविंद कविता के धर्म और स्वभाव को अच्छी तरह पकड़...अरविंद कविता के धर्म और स्वभाव को अच्छी तरह पकड़ रहे हैं ।जो उनको कहना है वो आगे-पीछे करते हुए बतकही में ही कह देते हैं ।rabi bhushan pathakhttps://www.blogger.com/profile/18276093089412772926noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-78102326980570070312012-09-07T07:56:28.957+05:302012-09-07T07:56:28.957+05:30अरविन्द की कविताओं में यह जो उनका टटकापन है वह बिल...अरविन्द की कविताओं में यह जो उनका टटकापन है वह बिलकुल अपनी तरह का है. यह एक ऐसा कवि है जिसका पता बारिस है और जिसकी यही चाहत है कि वह आया दिखे तो लगे कि बारिस हुई जाए तो लगे कि बारिस गयी. बेहतरीन कविताएँ हैं लेकिन जैसा कि आशुतोष जी ने कहा है एक कवि को अपने समय के पूरे सन्दर्भों के साथ कविता में आवाजाही करना चाहिए, अन्यथा उसके कुछ और मायने निकलने-निकालने के खतरे लगातार बने रहते हैं. अरविन्द एक सजग युवा कवि हैं जो अपनी कविता को खुद एक पाठक की तरह पढ़ते हैं इसलिए उनके यहाँ संभावनाएं बहुत हैं. अपने इस प्रिय कवि को शुभकामनाये और रामजी भाई का आभार santosh chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/05850303341274524229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-51329672460487226072012-09-06T22:05:37.283+05:302012-09-06T22:05:37.283+05:30umda kavitaen...badhai..umda kavitaen...badhai..www.puravai.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/03485808500607916718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-44669582002005684842012-09-06T19:06:03.598+05:302012-09-06T19:06:03.598+05:30behtareen kavitaen...aur kya kahun...
behtareen kavitaen...aur kya kahun... <br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12335887598927032823noreply@blogger.com