tag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post1969809058062963226..comments2024-03-28T12:43:12.893+05:30Comments on सिताब दियारा : विमल चन्द्र पाण्डेय की संस्मरण -- पंद्रहवीं किश्तरामजी तिवारी http://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-39606363175754745112012-08-12T12:02:09.831+05:302012-08-12T12:02:09.831+05:30IS BAAR KA BHI KAM HAI.....IS BAAR KA BHI KAM HAI.....vinay pandeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4995179813337431693.post-63018573210761698812012-08-12T09:55:41.177+05:302012-08-12T09:55:41.177+05:30मज़ा आया. हर रविवार इंतज़ार रहता है कि विमल भाई की अ...मज़ा आया. हर रविवार इंतज़ार रहता है कि विमल भाई की अगली किश्त मिलेगी पढ़ने को. आज के प्रसंग में कहानी पर आया प्रसंग खांटी इलाहाबादी रहा. अक्सर यह तेवर इलाहाबाद में छात्रावासों में मिल जाया करता है. <br />बधाई देने का मन कर रहा है...<br />रामजी भाई आपने यह बता कर थोड़ा दुखी किया है कि यह श्रंखला जल्दी ही समाप्त हो जायेगी..डॉ. रमाकान्त रायhttps://www.blogger.com/profile/09116808635021540672noreply@blogger.com